हनुमानजी और भगवान राम के बीच का युद्ध
हनुमान जी ने अपने प्रभु राम के साथ युद्ध भी किया था। दरअसल एक बार भगवान राम के गुरु विश्वामित्र किसी कारणवश हनुमानजी से नाराज हो गए और उन्होंने भगवान राम को हनुमानजी को मारने की सजा देने को कहा। भगवान राम ने ऐसा किया भी क्योंकि वह गुरु की आज्ञा नहीं टाल सकते थे, लेकिन सजा के दौरान हनुमान जी राम नाम जपते रहे जिसके चलते उनके ऊपर प्रहार किए गए सारे शस्त्र विफल हो गए।
वाल्मीकि से पहले रामायण हनुमानजी ने लिखी
हनुमान जी ने हिमालय जाकर पत्थरों पर अपने नाखूनों से रामायण लिखी थी। जब रामायण लिखने के बाद बाल्मीकि जी को ये बात हिमालय जाने पर पता चली तो वह हिमालय गए और वहां पर पहले से ही लिखी हुई रामायण मिली।
कैसे पड़ा हनुमान नाम
ठोड़ी के आकार के कारण से इनका नाम हनुमान पड़ा। संस्कृत में हनुमान का मतलब होता है बिगड़ी हुई ठोड़ी।
हनुमान पिता भी हैं
हनुमान जी को सभी ब्रह्मचारी के रूप में जानते हैं लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि उनका मकरध्वज नाम का एक बेटा भी था।
प्रमुख देव हैं भगवान हनुमान
हनुमानजी सभी देवताओं में श्रेष्ठ माने जाते हैं। पहला कारण हनुमानजी के पास खुद की शक्ति है। वे खुद की शक्ति से संचालित हैं। दूसरा कारण, शक्तिशाली होने के बावजूद ईश्वर के प्रति समर्पित हैं। तीसरा कारण वे अपने भक्तों की सहायता तुरंत ही करते हैं और चौथा कारण वे आज भी सशरीर पृथ्वी पर जीवत हैं।