अंडे से बाहर निकलने के बाद जीन एडिटिंग से जन्मी छिपकली (दाएं)। वह उंगली की पोर से अधिक छोटी थी।
- पहली बार रेप्टाइल के जीनको बदलने का प्रयोग कामयाब
- यह रिसर्च मानव शरीर कीस्टडी में उपयोगी साबित होग
हीथर मर्फ
वैज्ञानिक कुछ समय से चूहों, सुअरों, बकरियों, मुर्गियों और तितलियों के जीन्स में बदलाव कर रहे हैं। लेकिन, जीन एडिटिंग के महत्वपूर्ण तरीके सीआरआईएसपीआर ने असंभव लगने वाला जेनेटिक परिवर्तन कर दिखाया है। अब तक रेंगने वाले प्राणी रेप्टाइल इससे अछूते थे। लगभग पारदर्शी दिखने वाली एनोलिस लिजार्ड के जन्म से ऐसा हो गया है। यह जीन में बदलाव से जन्मा पहला रेप्टाइल है।
छिपकली के जन्म की रिसर्च से जुड़ी जार्जिया यूनिवर्सिटी, अमेरिका की स्टूडेंट एशले रेसिस बताती हैं, मैं उसे अंडे से बाहर निकलते देखकर स्तब्ध रह गई थी। हमने पहले अलबिनो लिजार्ड पैदा करने के बारे में वाकई नहीं सोचा था। साइंस मैगजीन में प्रकाशित पेपर में छिपकली पैदा करने का ब्योरा दिया गया है। वैज्ञानिकों के पास अब जेनेटिक रिसर्च का उपयोग करने का एक अन्य मॉडल आ गया है।
यूनिवर्सिटी के जेनेटिक्स विभाग के डायरेक्टर डगलस मेंके ने बताया, मानव बायोलॉजी का अध्ययन करने में इस तरह के मॉडल का उपयोग हो सकेगा। उन्होंने बताया, अब तक रेप्टाइल्स की सभी दस हजार प्रजातियां एेसी रिसर्च के दायरे से बाहर थीं। साइंटिस्ट सोचते थे कि ऐसा करना बहुत मुश्किल होगा। लेकिन, इस रिसर्च से यह संभव हो गया है।